Bhagat Singh Used to Recite this Poetry
while he was awaiting execution in the condemned cell.
दिखाऊंगा तमाशा दी अगर फ़ुरसत ज़माने ने
मेरा हर दाग़-ए-दिल इक तुख्म(seed) है सर्व (Tree) -ए-चिराग़ां का
खुदा के आशिक़ तो हैं हजारों, बनों में फिरते हैं मारे-मारे
मै उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा
दिखाऊंगा तमाशा दी अगर फ़ुरसत ज़माने ने
मेरा हर दाग़-ए-दिल इक तुख्म(seed) है सर्व (Tree) -ए-चिराग़ां का
खुदा के आशिक़ तो हैं हजारों, बनों में फिरते हैं मारे-मारे
मै उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा