सारंगी भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक ऐसा वाद्य यंत्र है जो गति के
शब्दों और अपनी धुन के साथ इस प्रकार से मिलाप करता है कि दोनों की
तारतम्यता देखते ही बनती है। सारंगी मुख्य रूप से गायकी प्रधान वाद्य यंत्र
है। इसको लहरा अर्थात अन्य वाद्य यंत्रों की जुगलबंदी के साथ पेश किया
जाता है। सारंगी शब्द हिन्दी के सौ और रंग से मिलकर बना है जिसका मतलब है
सौ रंगों वाला।
अठारहवीं शताब्दी में तो सारंगी ने एक परम्परा का रूप ले लिया हुआ था। सारंगी का इस्तेमाल गायक अपनी गायकी में जुगलबंदी के रूप में लेते रहे हैं। राग ध्रुपद जो गायन पद्धति का सबसे कठिन राग माना जाता है, सारंगी के साथ इसकी तारतम्यता अतुल्य है। सारंगी स्वर और शांति में संबंध स्थापित करती है। प्राचीन काल में सारंगी घुमक्कड़ जातियों का वाद्य था। सारंगी वाद्य यंत्र का प्राचीन नाम सारिंदा है जो कालांतर के साथ सारंगी हुआ।
अठारहवीं शताब्दी में तो सारंगी ने एक परम्परा का रूप ले लिया हुआ था। सारंगी का इस्तेमाल गायक अपनी गायकी में जुगलबंदी के रूप में लेते रहे हैं। राग ध्रुपद जो गायन पद्धति का सबसे कठिन राग माना जाता है, सारंगी के साथ इसकी तारतम्यता अतुल्य है। सारंगी स्वर और शांति में संबंध स्थापित करती है। प्राचीन काल में सारंगी घुमक्कड़ जातियों का वाद्य था। सारंगी वाद्य यंत्र का प्राचीन नाम सारिंदा है जो कालांतर के साथ सारंगी हुआ।